
सावन मास भारतीय कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ और श्रावण मास के बीच का मास होता है। यह मास हिंदू धर्म में विशेष मान्यता और महत्त्व रखता है और इसे भगवान शिव की पूजा के लिए आदर्श माना जाता है। इस मास में भगवान शिव की पूजा करने से मान्यता है कि भगवान शिव अपनी अद्भुतता को प्रकट करते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
चलिए, हम शिव के महत्वपूर्ण कथा और सावन के मास के संबंध में थोड़ी सी कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
काफी समय पहले की बात है, श्रावण मास के दिनों में पृथ्वी पर अद्भुत घटना घटी। देवताओं और असुरों के मध्य होने वाली समुद्र मंथन क्रिया के दौरान विष प्राकृतिक उपयोगी औषधि निकली, जिसे अमृत कहा गया। देवताओं को अमृत की अपांगता से निराश होते देख भगवान विष्णु ने विष्णुरूपी श्रीकृष्ण के माध्यम से देवताओं की सहायता की। इस प्रकारदेवताओं और असुरों के मध्य होने वाले संग्राम में भगवान शिव ने विशेष भूमिका निभाई। उन्होंने गरुड़ पर्वत को चुनकर अमृत लेने का निर्णय लिया। गरुड़ पर्वत को अपने धोल पर लेकर भगवान शिव उसे अमृत के पास ले गए। इसके दौरान एक बार उन्हें थोड़ी सी थकान महसूस हो गई और उन्होंने अपना अंगूठा खंडित करके उसे गरुड़ पर्वत पर छोड़ दिया। जब गरुड़ पर्वत अमृत लेकर वापस लौट रहा था, तब भगवान शिव के छोड़े हुए अंगूठे की रस धारा संचारित होती रही।
यह रस धारा पृथ्वी पर बहती रही और उसे बचाने के लिए भगवान शिव ने अपनी गंगा को धारा बनाकर उसे सम्हाल लिया। इस प्रकार, गंगा नदी का जन्म हुआ और सावन मास में यही गंगा जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। गंगाजल के पवित्रता में आधारित हर बूंद में अपार आशीर्वाद निवास करता है जो हमें जीवन में आनंद, समृद्धि और मानसिक शांति का अनुभव कराता हैं। सावन मास में शिव की पूजा और गंगा स्नान करने से मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

इस प्रकार, सावन के महीने में शिव की पूजा का महत्व विशेष रूप से उत्कृष्ट होता है। यह मास हमें शिव के अद्भुतता को और उनकी कृपा को अनुभव करने का अवसर देता है। सावन मास में भगवान शिव की पूजा करने से हम अपने आप को ध्यान में लगाते हैं, उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से पूर्ण करते हैं।
इसलिए, हमें सावन के महीने में शिव की पूजा का महत्व समझना चाहिए और इस धार्मिक परंपरा को सम्पूर्ण आदर्शों के साथ अपनाना चाहिए। शिव की पूजा, ध्यान और अवधारणाओं को समझकर हम अपने जीवन को उत्कृष्ट कर सकते हैं और आध्यात्मिकता, आनंद और समृद्धि का आनंद ले सकते हैं। सावन मास के इस विशेष अवसर पर, हमें शिव की पूजा और आराधना करके उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करना चाहिए और अपने जीवन को धार्मिकता, शांति और समृद्धि से पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए।